चीन को भारत का जवाब।
"चीन को भारत का जबाब,1300 किमी सड़क के बाद अब रेल नेटवर्क से जुड़ेगा अरुणाचल प्रदेश"
चीन से लगी अरुणाचल प्रदेश की सीमा और सीमा पार हो रही गतिविधियों के मद्देनजर भारत ने अरुणाचल प्रदेश में चीन की आपत्ति को दरकिनार कर रेल पटरी बिछाने की दिशा में काम शुरू कर दिया हैं।
सीमा की सुरक्षा सुनिश्चित करने और राज्य के लोगों की सहुलियत को देखते हुए यहां पर अब रेल नेटवर्क बिछाने का फैसला लिया गया है,इसके लिए सरकार ने तवांग तक रेल नेटवर्क तैयार करने का ब्लू प्रिंट तैयार किया है।
शुरू होगा सर्वे का काम :-
- देश के अन्य इलाकों से जोड़ने के लिए रेलवे यहां के सर्वे का काम भी जल्द ही शुरू कर देगा। शुरुआती चरण में यहां पर तीन ट्रैक तैयार किये जा रहे है।
1.भालुकपुंग से तवांग,
2. सिलाफाटर से बामा और
3. मुर्कोंगसेलेक से पासीघाट
लागत:-
रेल मंत्रालय के अनुसार इस बड़े और अहम प्रोजेक्ट पर करीब 50 से 70 हजार करोड़ रुपये तक की अनुमानित लागत आएगी जो मुम्बई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन की लागत के बराबर है।
रेलवे इस परियोजना को रेल राज्य मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर पूरा किया जायेगा।इसके जरिए पूरे अरुणाचल प्रदेश को रेल नेटवर्क से जोड़ने की तैयारी है। 1 फरवरी को पेश किए गए आम बजट में डूमडूमा से सिमालगुड़ी, नामसाइ औक चौउखाम होते हुए वाकरो (96 किमी), डांगरी से रोइंग (60 किमी), लेखापानी से नामपोंग (75 किमी) लाइनों का सर्वे करने की घोषणा की गयी थी।इसके अलावा तिनसुकिया से पासीघाट तक 300 किलोमीटर लंबा ट्रैक बनेगा।
ज्ञात हो कि चीन अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा जताता रहा है,और किसी भी तरीके के निर्माण पर आपत्ति व्यक्त करता रहा है। ऐसे में भारत की ओर से अरुणाचल में रेल ढांचा मजबूत करना रणनीतिक और सामरिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है।
चीन से लगी अरुणाचल प्रदेश की सीमा और सीमा पार हो रही गतिविधियों के मद्देनजर भारत ने अरुणाचल प्रदेश में चीन की आपत्ति को दरकिनार कर रेल पटरी बिछाने की दिशा में काम शुरू कर दिया हैं।
सीमा की सुरक्षा सुनिश्चित करने और राज्य के लोगों की सहुलियत को देखते हुए यहां पर अब रेल नेटवर्क बिछाने का फैसला लिया गया है,इसके लिए सरकार ने तवांग तक रेल नेटवर्क तैयार करने का ब्लू प्रिंट तैयार किया है।
शुरू होगा सर्वे का काम :-
- देश के अन्य इलाकों से जोड़ने के लिए रेलवे यहां के सर्वे का काम भी जल्द ही शुरू कर देगा। शुरुआती चरण में यहां पर तीन ट्रैक तैयार किये जा रहे है।
1.भालुकपुंग से तवांग,
2. सिलाफाटर से बामा और
3. मुर्कोंगसेलेक से पासीघाट
लागत:-
रेल मंत्रालय के अनुसार इस बड़े और अहम प्रोजेक्ट पर करीब 50 से 70 हजार करोड़ रुपये तक की अनुमानित लागत आएगी जो मुम्बई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन की लागत के बराबर है।
रेलवे इस परियोजना को रेल राज्य मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर पूरा किया जायेगा।इसके जरिए पूरे अरुणाचल प्रदेश को रेल नेटवर्क से जोड़ने की तैयारी है। 1 फरवरी को पेश किए गए आम बजट में डूमडूमा से सिमालगुड़ी, नामसाइ औक चौउखाम होते हुए वाकरो (96 किमी), डांगरी से रोइंग (60 किमी), लेखापानी से नामपोंग (75 किमी) लाइनों का सर्वे करने की घोषणा की गयी थी।इसके अलावा तिनसुकिया से पासीघाट तक 300 किलोमीटर लंबा ट्रैक बनेगा।
ज्ञात हो कि चीन अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा जताता रहा है,और किसी भी तरीके के निर्माण पर आपत्ति व्यक्त करता रहा है। ऐसे में भारत की ओर से अरुणाचल में रेल ढांचा मजबूत करना रणनीतिक और सामरिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है।

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